Padosi Se Ulfat | Qawwali

Padosi Se Ulfat

पड़ोसी से उल्फ़त तुम्हें है नहीं जब -2
खुदा से मोहब्बत निभाओगे कैसे?
गर माफ करते हो तुम न किसी को -2
गुनाहों की माफी को पाओगे कैसे?
बढ़ाता खुदा है उसी को जहाँ में
निगाहें हो जिनकी मसीह के रहम पर-2
अगर जलते तारीफ से तुम किसी की-2
खुदावन्द की तारीफ गाओगे कैसे?
मिलेगा तुम्हें भी बदले में उतना
देते हो तुम जो ज़माने में जितना-2
किसी को खिलाते हो तुम न निवाला-2
तो जीवन की रोटी को खाओगे कैसे?
मसीहत में आके इज्जत को पाके
क्यों जीते अज़ीज़ों दिलों को दुखा के-2
बहुत ढूँढते हो कमी दूसरों में-2
तो अपनों की कमियां छुपाओगे कैसे?
किसी को सताया किसी को रूलाया
किसी को है दुनियाँ में रूसवा कराया-2
तुम्हें खाएंगी उनकी आहें ज़मीन पर-2 
तो जन्नत की गलियों में जाओगे कैसे?

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