Rooh Ki Barish Barsa Chahti Hai
रूह की बारिश बरसा चाहती है खुदावंद की शिफा आती है -2 प्रेम की बरखा बरसा चाहती है खुदावंद की शिफा आती है -2
शिफा का मंबा यीशु मसीहा छूने का उसको वक्त है ये अपने ईमान से, उसके लहू से पापों से धुलने का वक्त है ये
तेरे गुनाह चाहे हो किर्मिज़ी बर्फ की मानिंद धो देगा वो पानी और रूह से देगा जन्म झरनों सी जिंदगी दे देगा वो
कोड़े भी खाए तेरे लिए तेरे लिए वो सूली चढ़ा कुचला गया वो तेरे लिए तेरे लिए ही वह जिंदा हुआ
उसपे नज़र कर ले ले शिफा अपने मसीहा से ले ले शिफा उसकी सलीब से ले ले शिफा उसके लहू से ले ले शिफा
Rooh Ki Barish Barsa Chahti Hai