Wo Hi Rooh Aaya Hai
कभी पानीयों पे जो जुंबिश थी कभी खैमों में की सुकूनत थी -2 वो ही रूह, वो ही रूह आया है वो ही रूह आया है
आज भी कल की तरह ये तख़्लीक़ करेगा पत्थर दिलों को ये बदलकर गोश्तीन दिल देगा जिस रूह को पाने की आशीष थी जिस रूह को पाने की ख़्वाहिश थी -2 वो ही रूह, वो ही रूह आया है वो ही रूह आया है
जीने का सलीक़ा देगा वो फ़तह का तरीका देगा वो हर बात, हर काम में खुद ही वसीला होगा वो जो रसूलों की भी तो ताकत थी जो उनके हाथ में कुदरत थी -2 वो ही रूह, वो ही रूह आया है वो ही रूह आया है
बाप और बेटे का रूह अब तो हमारे साथ है फज़ल और जलाल का रूह हमपे तो ठहरा आज है इस रूह में हम तो नहाएंगे इस रूह की बोली में गाएंगे -2 वो ही रूह, वो ही रूह आया है वो ही रूह आया है
Worshiper: Ikhlaq Masih
Lyrics and Composition: Pastor Joseph