Aye Masih Mere Gunahon Ko Mitaya Tune
ऐ मसीह मेरे गुनाहों को मिटाया तूने दी नज़ात हमको गिरने से बचाया तूने -2
काफ़िला कैसे चले जब तू मेहरबां न रहे रुक-रुक जाऊं अगर तेरा सहारा न मिले पड़ गए, अब तो कदम तय करूँ मैं, अब ये सफ़र -2 ऐ मेरे मुंजी बता कैसे? -2 ऐ मसीह मेरे गुनाहों को…
आँधियाँ उठती हैं तूफ़ान डराता है मुझे डगमग कश्ती है क्या करना, नहीं मालूम मुझे माँझी बनकर हे प्रभु पूरा करा दे ये सफ़र -2 ताकि पहुँचूँ किनारे, खुश होकर -2 ऐ मसीह मेरे गुनाहों को…
दौड़ता जब हूँ तो कुछ बोझ दबाता है मुझे पाप भी चुपके से फंदे में फँसाता है मुझे आँख जब तुझ पे लगाता हूँ तो अंत होवे सफ़र -2 गाऊँगा तेरी स्तुति, जीवन भर -2 ऐ मसीह मेरे गुनाहों को…
Aye Masih Mere Gunahon Ko Mitaya Tune
Written, composed and sung by Bro. Lazar Sen.