Duniyan Ki Bheed Me Kyon Kho Raha
दुनियाँ की भीड़ में, क्यों खो रहा? मिलेगा कुछ भी न फल, जो बो रहा तू आजा घर लौट आ, आ बेटे घर आ लौट आ, लौट आ, लौट आ, लौट आ -2
गुनाहों में था अब तलक, तू जो धंसा मकडी़ के जाल में, था जो फंसा -2 तू आजा घर लौट आ, आ बेटे घर आ -2 दुनियाँ की भीड़ में, क्यों खो रहा? लौट आ, लौट आ, लौट आ, लौट आ -2
मैं ढूँढूँ उस भेड़ को, जो खो गई गुनाहों की जेल में, बन्द हो गई -2 तू आजा घर लौट आ, आ बेटे घर आ -2 दुनियाँ की भीड़ में, क्यों खो रहा? लौट आ, लौट आ, लौट आ, लौट आ -2
तू आँखे अब खोलकर, सब जाँच ले तू सच और झूठ को, अब माप ले -2 तू आजा घर लौट आ, आ बेटे घर आ -2 दुनियाँ की भीड़ में, क्यों खो रहा? लौट आ, लौट आ, लौट आ, लौट आ -2
Duniyan Ki Bheed Me Kyon Kho Raha | Subhash Gill