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Shukar Guzari Karta Hun Main | Subhash Gill

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Shukar Guzari Karta Hun Main Lyrics

शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4 
तेरे फज़ल के तख़्त के आगे -2
अब झुकता हूँ मैं
शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4

शुक्र-गुज़ारी, शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4
अंधेरों में डूबा हुआ था,
मैं कहीं भी न दिखता था -2
तेरे नूर में जब से छिपा हूँ -2
अब दिखता हूँ मैं
शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4
मौत और कब्र थी मंजिल मेरी, 
नरक की आग भी थी वो मेरी -2
लेकिन अब तो इब्राहम की -2
गोद में बैठा हूँ मैं
शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4
पाप की गहरी उस कालख ने,
दूर रखा था खालिक़ से -2
पाक़ लहू से खूब धुलकर -2
घर लौटा हूँ मैं
शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4
शुक्र-गुज़ारी, शुक्र-गुज़ारी करता हूँ मैं -4
Shukar Guzari Karta Hun Main -4
Tere Fazal Ke Takht Ke Aage -2
Ab Jhukta Hun Main
Shukar Guzari Karta Hun Main -4
Shukar Guzari, Shukar Guzari,
Karta Hun Main -4
Andheron Me Duba Hua Tha,
Main Kahin Bhi Na Dikhta Tha -2
Tere Noor Me Jab Se Chhipa Hun -2
Ab Dikhta Hun Main
Shukar Guzari Karta Hun Main -4
Maut Aur Kabr Thi Manzil Meri,
Narak Ki Aag Bhi Thi Wo Meri -2
Lekin Ab To Ibraham Ki -2
Godd Me Baitha Hun Main
Shukar Guzari Karta Hun Main -4
Paap Ki Gehri Us Kalakh Ne,
Dur Rakha Tha Khaliq Se -2
Paak Lahu Se Khub Dhulkar -2
Ghar Lauta Hun Main
Shukar Guzari Karta Hun Main -4
Shukar Guzari, Shukar Guzari,
Karta Hun Main -4

Shukar Guzari Karta Hun Main | Subhash Gill

Lyrics/Comp: Subhash Gill

शुक्रगुज़ारी = कृतज्ञता, आभार, आभार प्रदर्शन, एहसानमंदी, धन्यवाद कहना

कालख = लाक्षणिक रूप में ऐसी बात या काम जिससे किसी पर बहुत ही लज्जाजनक रूप में कलंक या धब्बा लगता हो, बदनामी, काला मैल, कालिख, स्याही

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