Yeshu Ko Chhor Kar

Yeshu Ko Chhor Kar

यीशु को छोड़ कर मैं, कहाँ जाऊँगा
किस दर पे जाके अपना, सिर झुकाऊँगा
पूरब में जाऊँ तो, वहाँ पर तू है
पश्चिम में जाऊँ तो, वहाँ पर भी है
उत्तर और दक्षिण में भी मौजूद है
चारों दिशाओं को थामे हुए
पहाड़ों में वादियों में, तेरा काम है
नदी समुंद्र में भी तेरा हाथ है
पेड़ों और पौधों में भी तेरी सोच है
कितना विशाल मेरा यीशु तू है
पापों से मन फिराया, मेरे अंदर यीशु आया
ईमान यीशु पे लाया, जीवन अनंत पाया
परमेश्वर का पावन पुत्र यीशु तू है
मेरा परमेश्वर यीशु ही है
जहाँ मैं जाऊँ मेरे, संग संग यीशु रहता
अपने हाथों से मेरी, रक्षा है यीशु करता
आगे और पीछे से वो घेरे मुझे हैं 
दायें और बायें से भी थामें हुए

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recently Added