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Ajnabi Hota Nahin Koi Bhi Masih Ke Liye

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Ajnabi Hota Nahin Koi Bhi Masih Ke Liye

अजनबी होता नहीं, कोई भी मसीह के लिए -2
प्यासा हर कोई है उसकी, बस एक नज़र के लिए
अजनबी होता नहीं
करके घायल अकेले मुझे, ये किसी ने छोड़ दिया
उसने आकर के उठाया और घाव दूर किए 
अजनबी होता नहीं, कोई भी मसीह के लिए
अजनबी होता नहीं
दर्द अपनों ने दिया तो, अब उनसे क्या कहना 
अब मसीह मिल गया मुझे यार, हर बशर के लिए
अजनबी होता नहीं, कोई भी मसीह के लिए
अजनबी होता नहीं
अपने अश्कों को भी मैंने, यूं बहते देखा है
अब मसीह बन गया हमसफर, हर एक पल के लिए
अजनबी होता नहीं, कोई भी मसीह के लिए
अजनबी होता नहीं

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