Dur Kahin In Rahon Me
दूर कहीं इन राहों में
हो जाओ तुम जो अकेले
याद रखना कोई हरपल
साथ चलता है
दूर कहीं अंधियारों में
जब जिंदगी खो जाए
याद रखना सूली पे कोई
दीप जलता है
कितने ऐसे पल हैं तुम्हारे
होते हो जब बेसहारा
अपनों ही से चोट खा के
ढूंढते हो किनारा -2
कल कहीं इस हाल में
जब जिन्दगी तड़पाए
याद रखना उसका इशारा
थाम लेता है
दूर कहीं इस राहों में…
कल कहीं जो चोट देके
छोड़ तुमको जाते
ढूंढते उन्हें आवाज़ देके
थक के हार जाते -2
कल कहीं इस हाल में
जब जिंदगी खो जाये
याद रखना गम तुम्हारे
यीशु सहता है
दूर कहीं इन राहों में…