Uth Musafir Kar Taiyari Lyrics
उठ मुसाफिर, कर तैयारी अब तो कुछ दिन, भी नहीं हैं दिल कहीं, दीदा कहीं और अश्क आँखों में नहीं है -2 उठ मुसाफिर, कर तैयारी
क्या तेरी आँखों में अब तक नींद ग़फ़लत की भरी है? -2 भाई और माता-पिता यहाँ कोई भी अपना नहीं है उठ मुसाफिर, कर तैयारी...
माल-ओ-दौलत, शान-ओ-शौकत इनमें धोखा है सरासर -2 सारी दुनियाँ कोई कमावे तौभी कुछ हासिल नहीं है उठ मुसाफिर, कर तैयारी...
है शजर पुर-खार दुनियाँ जिंदगानी है कहानी -2 गम, अलम, मातम सिवा कोई और इसमें फल नहीं है उठ मुसाफिर, कर तैयारी...
है ख़ुशी यीशु मसीह में राह-ए-हक़ प्यारो वही है -2 क्यों फिरे भटका मुसाफिर? और तो कोई राह नहीं है उठ मुसाफिर, कर तैयारी...
Uth Musafir Kar Taiyari Ab To Kuchh Din, Bhi Nahin Hai Dil Kahin, Didaa Kahin Aur Ashk Aankhon Me Nahin Hai -2 Uth Musafir Kar Taiyari
Kya Teri Aankhon Me Ab Tak Neend Gaflat Ki Bhari Hai? -2 Bhai Aur Mata Pita Yahan Koi Bhi Apna Nahin Hai Uth Musafir Kar Taiyari...
Maal-O-Daulat, Shaan-O-Shaukat Inme Dhokha Hai Sarasar -2 Sari Duniyan Koi Kamave Toubhi Kuchh Haasil Nahin Hai Uth Musafir Kar Taiyari...
Hai Shajar Pur-Khar Duniyan Zindgani Hai Kahani -2 Gam, Alam, Maatam Siwa Koi Aur Isme Fal Nahin Hai Uth Musafir Kar Taiyari...
Hai Khushi Yeshu Masih Me Raah-E-Haq Pyaro Vahi Hai -2 Kyon Fire Bhatka Musafir? Aur To Koi Raah Nahin Hai Uth Musafir Kar Taiyari...
Uth Musafir Kar Taiyari | Vinod Vishwas
दीदा = आँख, नेत्र, दृष्टि, निगाह, नज़र, दर्शन
ग़फ़लत = ऊँघ, नींद, असावधानी, प्रमाद के कारण होने वाली असावधानी, आलस्य, अचेत या बेसुध होने की अवस्था
सरासर = इस सिरे से उस सिरे तक, बिलकुल, सारे का सारा
शजर = दरख़्त, पेड़, वृक्ष
पुर-ख़ार = संकुल, वह जंगल आदि जहाँ बहुत काँटे हो, ख़ारदार
अलम = दुख, कष्ट, मानसिक व्यथा, क्लेश, दर्द, पीड़ा, तकलीफ़
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