Jab Uthta Hai Dhunwan Teri Huzuri Ka | Anish Masih

Jab Uthta Hai Dhunwan Teri Huzuri Ka | Anish Masih

जब उठता है धुंआँ, तेरी हुजूरी का
भर जाता हूँ मैं, तेरी महिमा से -2 
जब सब धुँधला दिखता था 
हर मंज़र बिखरा था
तेरे हाथों ने तब प्रभु, मुझको थाम लिया
जब झूठे थे हर सपने 
और रूठे थे सब अपने 
तेरे ही प्यार ने, पनाह मुझको दिया -2 
जब उठता है धुंआँ, तेरी हुजूरी का
भर जाता हूँ मैं, तेरी महिमा से -2
हाँ हाँ मैं निर्बल हूँ
पर तू ही मेरा बल है मेरे खुदा 
मेरी ही निर्बलता में सिद्ध करता
तू सामर्थ है खुदा -2 
हर पल तू मेरे साथ है, ये मुझको है यकीन 
छू ले प्रभु जो तू मुझे, जी जाऊँ मैं अभी 
जब उठता है धुंआँ, तेरी हुजूरी का
भर जाता हूँ मैं, तेरी महिमा से -2
मेरे गुनाहों को तू, ले गया है प्रभु
तोड़े बन्धन मेरे ताकि, आज़ाद मैं रहूँ -2 
बिखरा सा था हाँ मैं प्रभु, फिर तूने बना दिया 
तेरी रूह की सामर्थ से प्रभु, 
तूने मुझको जिला दिया
जब उठता है धुंआँ, तेरी हुजूरी का
भर जाता हूँ मैं, तेरी महिमा से -2

Jab Uthta Hai Dhunwan Teri Huzuri Ka | Anish Masih

Lyrics By Anish Masih

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