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Kab Tak Khuda Mere Kab Tak | Anil Kant

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Kab Tak Khuda Mere Kab Tak

कब तक खुदा मेरे कब तक -2
ऐ खुदा मुझ पर अपना कहर न दिखा
तू मुझ पर रहम कर कि मैं मर चला
मुझको दे-दे शिफा -2
बेकरारी मेरी जान की बढ़ती रहेगी
ऐ खुदावन्द तू अब मेरी जाँ को छुड़ा
अपनी रहमत की खातिर से मुझको बचा -2
मर कर कैसे करूँगा, तुझे याद मैं
कब्र में शुक्रिया कैसे करूँगा अदा
मैं तो कराहते - करहाते थक ही गया
मेरे बिस्तर पे है, आँसूओं की नमीं
मेरी आँखें भी रो-रो के जागती रही -2
ऐ मेरे दुश्मनों तुम ये सुन लो जरा
मेरे मालिक ने सुन ली है मेरी दुआ
है वो दुश्मन मेरे, बेकरार और शर्मिन्दा
रहमत खुदा तेरी रहमत -4

Kab Tak Khuda Mere Kab Tak | Anil Kant

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