Yatri Hun Main Jag Me Prabhu Ji
यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2 चलता हूँ मार्ग में तेरे -2 वो निशान, तू है यीशु जी -2 बंदरगाह तू मेरा हाँ बंदरगाह तू मेरा
सोचा था मैंने यह जग मेरा -2 खेत कुटुम्ब सब है प्यारा -2 धोखा सब! कोई न सहारा -2 व्यर्थ ही व्यर्थ है सारा हाँ, व्यर्थ ही व्यर्थ है सारा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
जान गया मैं उस दिन प्रभु जी -2 बदला जीवन लहू से मेरा -2 बड़ा आनंद! तू ने कहा था -2 पाप क्षमा हुआ तेरा हाँ, पाप क्षमा हुआ तेरा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
अभी तो जग में, मैं हूँ मुसाफ़िर -2 क्रूस उठाकर चलता रहूँगा -2 पाया मैंने! अनमोल धन को -2 है जो यीशु से भरा हाँ, है जो यीशु जो भरा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
आँख जब मेरी बंद हो जाए -2 यात्रा मेरी पूरी हो जाए -2 पहुँचूं मैं! स्वर्गीय वतन में -2 यह गीत है अब मेरा हाँ, यह गीत है अब मेरा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
धन दौलत सब मान और इज्जत -2 यहीं रहेगा जल जाएगा -2 यह जगत! पाप से जो भरा -2 श्राप ही श्राप है सारा हाँ, श्राप ही श्राप है सारा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
ऐसा कर प्रभु अन्त मैं जानूँ -2 और जानूँ मेरी आयु के दिन को -2 अब बता! कैसा अनित्य हूँ -2 खेदित हूँ मैं पूरा हाँ, खेदित हूँ मैं पूरा यात्री हूँ मैं जग में प्रभुजी -2
Yatri Hun Main Jag Me Prabhu Ji