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Sahara Mujhko Chahiye | Ashan Masih

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Sahara Mujhko Chahiye Lyrics

सहारा मुझको चाहिए, सहारा दे मुझे ख़ुदा
मुझे संभाल मैं गिरा, मुझे संभाल मैं गिरा
सहारा मुझको चाहिए
कठिन हैं रास्ते बहुत, हर एक ही मोड़ पर ख़तर
अँधेरे सायों को हटा, दिखा दे मुझको अब सहर
मुझे संभाल मैं गिरा, मुझे संभाल मैं गिरा
सहारा मुझको चाहिए
जहां के रास्ते पे मैं, अकेले चल न पाऊंगा
अगर जो चाहा चलना भी, फिसल के गिर मैं जाऊंगा
मुझे संभाल मैं गिरा, मुझे संभाल मैं गिरा
सहारा मुझको चाहिए
यह बोझ जो गुनाहों का, मैं ले के आज चल रहा
उतारेगा अगर कोई, वह तू ही तो है, ऐ ख़ुदा
मुझे संभाल मैं गिरा, मुझे संभाल मैं गिरा
सहारा मुझको चाहिए
सहारा मुझ को चाहिए
सहारा दे मेरे पिता
मुझे सम्भाल मैं गिरा -2
कठिन हैं रास्ते बहुत 
है खतरा हर इक मोड़ पर
अंधेरे सायों को मिटा 
दिखा दे अब मुझे सहर
ये बोझ जो गुनाह का 
मैं ले के आज चल रहा
उठाएगा अगर कोई 
वो तू ही तो है ऐ पिता
मैं जिंदगी की राह में 
अकेले चल न पाऊँगा
अगर जो चाहा चल भी लूँ 
फिसल के गिर ही जाऊँगा
Sahara Mujhko Chahiye 
Sahara De Mere Pita 
Mujhe Sambhal Main Gira -2 
Kathin Hain Raaste Bahut
Hai Khatra Har Ek Mod Par 
Andhere Saayon Ko Mita 
Dikha De Ab Mujhe Sehar 
Ye Bojh Jo Gunah Ka 
Main Le Ke Aaj Chal Raha
Uthayega Agar Koi 
Wo Tu Hi To Hai Aye Pita
Main Zindagi Ki Raah Me
Akele Chal Na Paunga 
Agar Jo Chaha Chal Bhi Lun
Fisal Ke Gir Hi Jaunga 
तू ही है सहारा, मेरा तू ठिकाना 
तू ही है सहारा, मेरे खुदा -2 
सहारा मुझको चाहिए, 
सहारा दे मुझे ख़ुदा -2
मुझे संभाल मैं गिरा,

मुझे संभाल मैं गिरा -4
सहारा मुझको चाहिए,
सहारा दे मुझे ख़ुदा
ये बोझ जो गुनाहों का, 
मैं ले के आज चल रहा
उठाएगा अगर कोई,
वो तू ही तो है, ऐ ख़ुदा
मुझे संभाल मैं गिरा,
मुझे संभाल मैं गिरा -2
सहारा मुझको चाहिए...
कठिन हैं रास्ते बहुत, 
हर एक मोड़ पर ख़तर
अँधेरे सायों को हटा,
दिखा दे मुझको अब सहर
मुझे संभाल मैं गिरा,
मुझे संभाल मैं गिरा -2
सहारा मुझको चाहिए...
जहां के रास्तों पे मैं, 
अकेले चल न पाऊंगा
अगर जो चलना चाहूँ भी,
फिसल के गिर मैं जाऊंगा
मुझे संभाल मैं गिरा,
मुझे संभाल मैं गिरा -2
सहारा मुझको चाहिए...

Song: Mera Sahara

Album: The Worship Series S02| A Rex Media House Production© 2024.

Ft. Robinson Shalu, Prakruthi Angelina, Philemon Anand, Sofia Shalu, Sheenu Mariam

Tu Hi Hai Sahara, 
Mera Tu Thikana
Tu Hi Hai Sahara,
Mere Khuda -2
Sahara Mujhko Chahiye,
Sahara De Mujhe Khuda -2
Mujhe Sambhal Main Gira,
Mujhe Sambhal Main Gira -4
Sahara Mujhko Chahiye,
Sahara De Mujhe Khuda
Ye Bojh Jo Gunahon Ka,
Main Le Ke Aaj Chal Raha
Uthayega Agar Koi,
Wo Tu Hi To Hai, Aye Khuda
Mujhe Sambhal Main Gira,
Mujhe Sambhal Main Gira -2
Sahara Mujhko Chahiye...
Kathin Hain Raaste Bahut,
Har Ek Mod Par Khatar
Andhere Saayon Ko Hata,
Dikha De Mujhko Ab Sehar
Mujhe Sambhal Main Gira,
Mujhe Sambhal Main Gira -2
Sahara Mujhko Chahiye...
Jahan Ke Raaston Pe Main,
Akele Chal Na Paunga
Agar Jo Chalna Chahun Bhi,
Fisal Ke Gir Main Jaunga
Mujhe Sambhal Main Gira,
Mujhe Sambhal Main Gira -2
Sahara Mujhko Chahiye...

Sahara Mujhko Chahiye | Ashan Masih

(गीत रचना 10/1/1955 और रिकॉर्डिंग 23/3/1966)

Singer – Rev. Ashan Masih

Lyrics – Rev. Ashan Masih

Music – Vasant Timothy

Recorded at – CARAVS Studio, Jabalpur, M.P. India.

इस गीत के पीछे की गवाही

1953-54 की बात होगी जब मेरे पिताजी हरदोई (यू. पी) में मेथोडिस्ट चर्च के पास्टर थे। हरदोई तहसील में उस समय एक तहसीलदार थे जो मसीही थे और उन्होंने मुझे तहसील के ख़ज़ाने में एक लिपिक (क्लर्क) की नौकरी दे दी थी, जो अस्थायी थी। यहां उन छोटे-बड़े ज़मींदारों को मुआवज़े के तौर पर रूपया मिलता था, जिनकी ज़मीनें सरकार ने ले ली थीं। हर व्यक्ति ख़ज़ांची व लिपिकों को पैसा खिला कर जल्द से जल्द अपना काम करवाना चाहता था।

शुरू में तो मैंने रिश्वत का पैसा लेने से मना कर दिया, परन्तु वहां के कर्मचारियों (स्टाफ़) ने मुझे पैसा लेने के लिए बाध्य कर दिया और मैं भी रिश्वत का पैसा घर लाने लगा, मगर इसके विषय में मैं किसी को नहीं बताता था। रास्ते बड़े कठिन थे, सामने अंधकार था और मुझे अपनी मंज़िलों का पता नहीं था। यह समय था मेरी मजबूरियों का, मेरी परीक्षाओं का, और बेचैनी का। मैं न चाहते हुए भी रिश्वत ले रहा था।

अचानक मैं बीमार पड़ा। हरदोई के स्थानीय डॉक्टर मेरी इलाज नहीं कर पाये और मुझे बरेली मिशन अस्पताल में इलाज करवाना पड़ा। मेरा स्वास्थ्य बेहतर हो चला था। उसी समय मेरे बड़े भाई रेव्ह. मुमताज़ मसीह और मेरे पिताजी ने मुझे लेनॉर्ड थियोलॉजिकल कॉलेज, जबलपुर में प्रवेश लेने की सलाह दी। हरदोई तहसील की नौकरी छोड़ू या न छोडूं, और लेनॉर्ड थियोलॉजिकल कॉलेज जाऊं या न जाऊं। ये मेरे लिए संकट और संघर्ष का विषय बन गया था।

उसी रात मैंने ईश्वर से सहारे के लिए प्रार्थना की। अब मेरे सामने एक ऐसा रास्ता था, जहाँ मेरे क़दम स्थिर नहीं थे और डगमगा रहे थे। मैं निर्णय नहीं ले पा रहा था कि वापस उसी दुनिया में जाऊं जहां भ्रष्टाचार और ग़रीबी के साथ ज़ुल्म और अन्याय था या उस जगह पर जाऊं जहां प्रभु और उसके लोगों की सेवा की राहें खुल रही थीं। उसी रात मेरे मन की प्रार्थना, मेरे कलम के द्वारा नोटबुक के पन्नों पर इस प्रकार से उभर कर आयी। – Ashan Masih

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