Alfaz Hain Kam Aankhen Meri Nam Lyrics
अल्फाज़ हैं कम आँखें मेरी नम ख्यालों में तेरे काम बेशुमार कैसे मैं कह सकूं, कैसे बयाँ करूँ तेरा प्यारा जो है, बे-इंतिहा
मेरी हर सांस तेरे नाम से, मसीहा है जुड़ी मेरी इस जिंदगी की हर खुशी, मेहरबानी है तेरी -2 मेहरबानी है तेरी -4
टूटा सा, बिखरा सा, था मैं यूं ही पड़ा बे-वजह जिंदगी को था जी मैं रहा -2 तेरा करम मुझ पर हुआ है तू मेरे जीने की वजह है -2
मेरी हर सांस तेरे नाम से, मसीहा है जुड़ी मेरी इस जिंदगी की हर खुशी, मेहरबानी है तेरी -2 मेहरबानी है तेरी -4
दिल में तू और जुबान पे है तेरा ही नाम तेरे हाथों में है मेरे जिस्म-ओ-जान -2 महिमा तेरी, ना मुझसे जुदा हो, ऐसा फज़ल, मुझ पर खुदा हो -2
मेरी हर सांस तेरे नाम से, मसीहा है जुड़ी मेरी इस जिंदगी की हर खुशी, मेहरबानी है तेरी -2 मेहरबानी है तेरी -4
ALFAZ HAIN KAM, ANKHEIN MERI NAM KHAYALON MEIN TERE KAAM BESHUMAR KAISE MAIN KAH SAKUN, KAISE BAYAAN KARUN TERA PYAR JO HAI BEINTIHAN
MERI HAR SAANS TERE NAAM SE MASIHA HAI JUDI MERI IS ZINDAGI KI HAR KHUSHI MEHERBANI HAI TERI MEHERBANI HAI TERI -4
TUTA SA, BIKHRA SA, THA MAIN YUNHI PADA BEWAJAH ZINDAGI KO THA JI MAIN RAHA -2 TERA KARAM MUJHPAR HUA HAI TU MERE JEENE KI WAJAH HAI
MERI HAR SAANS TERE NAAM SE MASIHA HAI JUDI MERI IS ZINDAGI KI HAR KHUSHI MEHERBANI HAI TERI MEHERBANI HAI TERI -4
DIL ME TU AUR ZUBAAN PE HAI TERA NAAM TERE HATHON MEIN HAIN MERE JISM-O-JAAN RAHMAT TERI NA MUJHSE JUDA HO AISA FAZAL MUJHPE KHUDA HO
MERI HAR SAANS TERE NAAM SE MASIHA HAI JUDI MERI IS ZINDAGI KI HAR KHUSHI MEHERBANI HAI TERI MEHERBANI HAI TERI -4
Alfaz Hain Kam Aankhen Meri Nam | Anish Masih
Written by Anish Masih
- Kaisa Anokha Tera Pyar Hai | Anish Masih
- Ek Mandir Banna Hai Mujhe | Anish Masih
- Banke Stuti Aaya Hun Main | Anish Masih
- Jab Uthta Hai Dhuan | Anish Masih
अलफ़ाज़ = शब्दसमूह, अर्थपूर्ण आवाज़ें जो बोली और लिखी जाएँ
नम = आर्द्र, गीला, तर, आर्द्रता, तरी, नमी, भीगा हुआ
बेशुमार = असंख्य, अनगिनत, जिनकी गिनती न हो सके, बहुत अधिक
बयाँ = जिक्र, चर्चा, विवरण, बात-चीत, वर्णन।
बे-इंतिहा = असीम, अपार, बेहद
मेहरबानी = कृपा, करुणा, तरस, ममता, दया, ध्यान देना, ख़याल करना, अच्छा बर्ताव करना, मेहरबान द्वारा किया हुआ कोई उपकार या अनुग्रह
बे-वजह = बिना किसी वजह या कारण के, निरुद्देश्य, निष्प्रयोजन, अकारण
करम = कृपा, अनुग्रह, दया, मेहरबानी
जिस्म-ओ-जान = तन और मन, शरीर और प्राण
फज़ल = अनुग्रह, कृपा, दया, अधिकता, ज़्यादती
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