Duniyan Ka Dera
दुनियाँ का डेरा छोड़कर, एक दिन पहूँचूगा मैं अनन्त घर गाऊँगा खुशी से वहाँ जय गान क्लेशों पर जयवंत होकर
दुनियाँ के सुख न चाहूँ दौलत इज्जत न चाहूँ चलना मुझे है, यीशु के कदमों पर सर्वस्व करता तुझे अर्पण जग के विधता, प्रभुवर
नफरत से मेरे अपने मुझसे अपना मुँह मोड़ें ठुकरा के मुझको गैरों की तरह अपने प्रभु की बाहों में जल्द ही रहूँगा मैं हर पल
धरती और सारी सृष्टि निश्चय उस दिन बदलेगी होगा प्रभु से जब मेरा मिलन जाऊँगा पंछी के समान उड़कर होगा महिमा में रूपांतर
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