Kar Do Nigaah-E-Karam | Qawwali
कर दो निगाह-ए-करम, मुझ पर मसीहा -2 आस लगाए हूँ मैं, तुझ पर मसीहा -2 कर दो निगाह-ए-करम, मुझ पर मसीहा -2
दुनियां ने न मुझको चाहा न ही मुझको अपना बनाया जिसको मैंने बेहद चाहा उसने मुझको ठुकराया -2 तू ही मेरी आरज़ू है, तू ही है ठिकाना तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना -2 तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना कर दो निगाह-ए-करम, मुझ पर मसीहा -2
देता हूँ मैं तुझको दोहाई दूर कर मेरी तन्हाई अपनी रहमत के खातिर दे दे पापों से रिहाई -2 तू ही मेरी आरज़ू है, तू ही है ठिकाना तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना -2 तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना कर दो निगाह-ए-करम, मुझ पर मसीहा -2
तुझसे है ये मेरी गुज़ारिश कर दे बरकतों की बारिश दूर कर तू हर मुसीबत इतनी सी है मेरी ख़वाहिश -2 तू ही मेरी आरज़ू है, तू ही है ठिकाना तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना -2 तेरे दर पे आ गया हूँ, छोड़कर ज़माना कर दो निगाह-ए-करम, मुझ पर मसीहा -2
Kar Do Nigaah-E-Karam | Moses Gittewar | Qawwali