Khudawand Tera Takht Laga Yahan | Arif Bhatti
खुदावंद तेरा तख़्त लगा यहाँ तू कुदरत और जलाल से भरा हुआ -2 यहाँ मौजूद है, मौजूद है, मौजूद है खुदावंद तू जलाली और कुद्दूस है -2
खुद को हम सब तेरे हुज़ूर झुकाते हैं तेरी बादशाही दिलों में सजाते हैं -2 क़दमों में तेरे सर अपने झुकाते हैं तेरी फ़तह के झंडे को लहराते हैं यहाँ मौजूद है, मौजूद है, मौजूद है खुदावंद तू जलाली और कुद्दूस है -2
तेरे लहू में खुद को हम छुपाते हैं ज़िन्दगी की चौखटों पे हम लगाते हैं -2 सब बंधनों से हम रिहाई पाते हैं तेरी सूली पे नज़रें लगाते हैं यहाँ मौजूद है, मौजूद है, मौजूद है खुदावंद तू जलाली और कुद्दूस है -2
तू ज़िन्दगी का दरिया है खुदा मेरे तू रहमतों का बानी है खुदा मेरे -2 तू ही शिफा का मम्बा है खुदा मेरे तू बरकतों से भरा है खुदा मेरे यहाँ मौजूद है, मौजूद है, मौजूद है खुदावंद तू जलाली और कुद्दूस है -2
Khudawand Tera Takht Laga Yahan | Arif Bhatti
Written and composed by Arif Bhatt